“नर्मदेश्वर शिवलिंग”
शिवलिंग धन-धान्य, सुख समृद्धि, ऐश्वर्य एवं समस्त मनोकामनाएं को पूर्ण करने वाला भगवान महादेव का निराकार रूप है.
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नर्मदा नदी के हर कंकर में शिव का वास है अर्थात जहां नर्मदेश्वर शिवलिंग स्थापित रहता है वह स्थान सभी वास्तु एवं ग्रह दोषों से मुक्त होकर, धन-धान्य, समृद्धि एवं वैभव को प्राप्त करता है। जिस घर एवं कार्यस्थल पर नर्मदेश्वर शिवलिंग होते है वहां काल और यम का भय नहीं होता और व्यक्ति व्यापार एवं कार्य में प्रगति करते हुए समस्त सुखों का भोग करता है।
प्रत्येक नर्मदेश्वर शिवलिंग के साथ पाए – ५ मुखी रुद्राक्ष मोती बिल्कुल मुफ्त ।
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यह भी बहुत महत्वपूर्ण है कि हम किस शिवलिंग की पूजा करें, जिससे हमारे सभी कार्य सम्पूर्ण हो और शीघ्र फल की प्राप्ति हो?
तो, शिव महापुराण स्कंद पुराण, लिंग पुराण एवं नर्मदा पुराण चारो पुराणों में एक ही बात कही गई है कि घर के अंदर शिवलिंग रखें तो वह केवल नर्मदा नदी से निर्मित नर्मदेश्वर शिवलिंग ही होना चाहिए। पुराणों में नर्मदेश्वर शिवलिंग के विषय में कहा गया है कि नर्मदा नदी से प्राप्त शिवलिंग में भगवान शिव का पूरा परिवार एवं 33 कोटि देवी देवता एवं माता महालक्ष्मी स्वयं विराजमान रहती है।
“एक साधे सब सधे” अर्थात नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा आराधना करने मात्र से समस्त देवी देवताओं की पूजा हो जाएगी और आपकी हर मनोकामना शीघ्र पूर्ण होकर माता महालक्ष्मी आपके घर में स्वयं स्थाई रूप से वास करेगी।
शिवलिंग के दर्शन मात्र से हमारे समस्त कष्टों का नाश होता है एवं मनुष्य मनोवांछित फल प्राप्त करता है।
सनातन धर्म में कहा गया है कि नर्मदेश्वर शिवलिंग पर जल चढ़ाने से व्यक्ति के समस्त दुःख,कष्ट दूर होते है, और शिवलिंग पर चढ़े जल का प्रतिदिन आचमन करने से बीमारियों दूर होती है और घर एवं व्यापार में सुख, शांति एवं समृद्धि बरकरार रहती है।
नर्मदेश्वर शिवलिंग कहां से प्राप्त करें:
आप वर्धनम संस्थान की वेबसाइट या कॉल पर अपना सिद्ध शिवलिंग प्राप्त कर सकते है। वर्धनम से लिए गए शिवलिंग की खासियत यह है कि, शिवलिंग ठोस एवं नर्मदा नदी से निर्मित शिव की प्राकृतिक आकृति (जैसे तिलक, अर्धनारीश्वर रूप, त्रिकुंड) से विद्यमान होगी। एवं इसकी ऊर्जा को बढ़ाने के लिए उज्जैन से शिक्षित आचार्यों द्वारा रुद्राष्टाध्यायी पाठ (रुद्री पाठ) द्वारा आपके नाम से सिद्ध किया जाता है। हमारे द्वारा इस महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर हिमालय के पांच मुखी रूद्राक्ष भी बिल्कुल मुफ्त दिए जा रहें है, जिससे आपकी शिव पूजा का फल दोगुना हो और भगवान शिव आपकी हर मनोकामना पूर्ण करें। यह आपको बहुत ही कम कीमत में उपलब्ध कराया जा रहा है और आप तक पहुंचाने का भी कोई चार्ज नही लिया जा रहा है। इसलिए आज ही अपना शिवलिंग मंगवाएं।
“वर्धनम संस्थान द्वारा दिया जाने वाला ओरिजिनल नर्मदेश्वर शिवलिंग का प्रमाण
(वारंटी कार्ड)”
जनसाधारण के महत्वपूर्ण प्रश्न एवं उसके उत्तर:
हां, हमारे पुराणों एवं वैदिक शास्त्र के अनुसार सभी व्यक्ति अपने घर अथवा कार्यस्थल पर पूजा के स्थान पर शिवलिंग की स्थापना कर सकता है।
जी हां, शिवलिंग कई प्रकार के होते है। परंतु हमें इस शिवलिंग की स्थापना करना चाहिए जिसकी आराधना सरल एवं उच्च कोटि का फल देने वाली हो। और पूरे विश्व में सिर्फ नर्मदा नदी से प्राप्त नर्मदेश्वर शिवलिंग ही एक मात्र ऐसे शिवलिंग है जिनकी पूजा सरल सहज एवं 100 प्रतिशत अधिक फल देने वाली होती है। क्योंकि नर्मदेश्वर शिवलिंग में शिव स्वयं वास करते है और इनकी स्थापना सीधे ही की का सकती है, बिना कोई अनुष्ठान या प्राण प्रतिष्ठा के।
शिव महापुराण, स्कंद पुराण, लिंग पुराण एवं नर्मदा पुराण चारो पुराणों में एक ही बात कही गई है कि घर के अंदर शिवलिंग रखें तो वह केवल नर्मदा नदी से निर्मित नर्मदेश्वर शिवलिंग ही होना चाहिए। पुराणों में नर्मदेश्वर शिवलिंग के विषय में कहा गया है कि नर्मदा नदी से प्राप्त शिवलिंग में भगवान शिव का पूरा परिवार एवं 36 कोटि देवी देवता एवं माता महालक्ष्मी स्वयं विराजमान रहती है।
घर अथवा कार्यस्थल पर रखा शिवलिंग ज्यादा बड़ा नही होना चाहिए, क्योंकि छोटे शिवलिंग की देखभाल करना सरल होता है। शिवलिंग 4 ऊंगल या 4 से 5 cm का ही होना चाहिए।
असली नर्मदेश्वर शिवलिंग प्राकृतिक आकृति या शिव चिन्ह से विद्यमान होगी, यह शिवलिंग ठोस और चिकने होंगे।
वर्धनम संस्थान आपको 100% ओरिजनल एवं सिद्ध शिवलिंग प्रदान करता है। हमारा लक्ष्य ही यह है कि घर घर में शिव की पूजा हो और सभी के शुभ काम सफल हो।
नहीं, पौराणिक कथा अनुसार भगवान शिव को कुछ वस्तु अप्रिय है, जिसमे तुलसी के पत्ते, केतकी का फूल, शंख से जल एवं सिंदूर या कुमकुम चढ़ना अशुभ माना गया है।
भगवान शिव को शीघ्र प्रसन्न करने के लिए धतूरा, बेलपत्र, भांग, भस्म (अगरबत्ती या कंडे से बनी) चंदन, एवं सुगंधित पुष्प चढ़ाना चाहिए।
भगवान शिव को अभिषेक अतिप्रिय है एवं शिव पुराण में वर्णन मिलता है कि मनवांछित फल पाने के लिए विशेष दिन अर्थात सोमवार, शिव अष्टमी, महाशिवरात्रि एवं त्योहारों पर हमें दूध, दही, घृत (घी), शहद, शर्करा (शक्कर) एवं गंगा जल से अभिषेक करना चाहिए। प्रतिदिन किसी भी पवित्र जल से अभिषेक करते रहना चाहिए।
शिवलिंग भगवान शिव का प्रतीक है, इसलिए शिवलिंग को पवित्र स्थान या पूजा घर में रखा जाता है। सभी के घर में पूजा स्थल और किचन अलग अलग जगह होता है इसलिए आप भी शिवलिंग की स्थापना कर सकते है। ध्यान योग्य बात यह है की नानवेज खाने के बाद भगवान को स्पर्श करना या छुना नही चाहिए। और यदि आपने रुद्राक्ष धारण किया हो तो खाते या मदिरा पान करते वक्त निकाल देना ही उचित होगा।
वर्धनम संस्थान की विशेषताएं
ओंकारेश्वर के प्रसिद्ध नर्मदेश्वर शिवलिंग जो शुद्ध रूप से नर्मदा नदी के पत्थर से बने है।
सभी शिवलिंग को संस्थान द्वारा रुद्री पाठ से अभिमंत्रित किया जाता है, जिससे मनोरथ अतिशीघ्र पूर्ण होते है।
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